Rajasthan

भारत की आजादी में अधिवक्ताओं का सर्वाधिक महत्वपूर्ण रोल रहा है…..और आज भी अधिवक्ताओं की पहल से न्यायिक प्रक्रिया में सुधार आ सकता है…….अगर वो राजयोग मेडिटेशन का थोड़ा अभ्यास करें…….क्योंकि राजयोग के अभ्यास से मन और बुद्धि में काफी एकाग्रता आ जाती है…..जिसकी मदद से न्यायधीश व अधिवक्ता अपराधी के मन को पढ़ सकता है……..ऐसा कहना है मध्यप्रदेश उच्च न्यायलय के पूर्व न्यायधीश बी.डी राठ के…… उन्होंने यह बातें जुडिशयल रिर्फाममेशन एंड स्प्रीचुअल अवेकनिंग विषय पर आयोजित सम्मेलन में कही…..जोकि राजस्थान के भीलवाड़ा सेवाकेंद्र पर आयोजित था |
इस सम्मेलन में इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकांउटेंट की भीलवाड़ा ब्रांच के चेयरमेन सी.ए अरूण काबरा, टैक्स बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सी.ए के.सी बाहेती, बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट एडवोकेट राजेंद्र कचोलिया, जोधपुर से सीनियर एडवोकेट बी.एल. महेश्वरी, माउंट आबू से एडवोकेट लता अग्रवाल प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
एंकर- इस दौरान डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथोरिटी के सचिव…..डॉ मोहित शर्मा ने कहा कि कानून और आध्यात्म एक दूसरे के पूरक है न की विरोधी…..वहीं बी.एल महेश्वरी और लता अग्रवाल ने कहा कि परिवर्तन के लिए शक्ति चाहिए……जो राजयोग से सम्भव है।