March 11, 2025

PeaceNews

Rajasthan

साहित्य, कला एवं संस्कृति में असीमित शक्तियां हैं, लेकिन वर्तमान समय इसमें भी प्रकृति के पांचो तत्वों की तरह प्रदूषण घुल गया है इसके शुद्धिकरण के लिए कलाकारों को आगे आने की जरूरत है इसी प्रयास के लिए प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी माउंट आबू के ज्ञानसरोवर में सम्मेलन का आयोजन किया जिसका शुभारंभ बॉलीवुड की प्रख्यात अभिनेत्री जरीना वहाब, प्रियंका कोठारी, शशि शर्मा, माँरिशस प्रधानमंत्री के पूर्व सचिव सुरेश रामबर्ण, निफा संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रीतपाल पन्नू, संस्था के महासचिव बीके निर्वेर, उपाध्यक्ष बीके मृत्युंजय, कला एवं संस्कृति प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बीके दयाल, बीके सतीश की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
कला व्यक्ति व समाज को कभी भी धर्म, जाति, अमिरी और गरीबी के आधार पर नहीं बांटती उसका एकमात्र धर्म हैं मनोरंजन ठीक उसी प्रकार आध्यात्म भी देह के धर्मो के आधार पर लोगो को विभाजित नहीं करता बल्कि आध्यात्मय तो वह माध्यम है, जिसके बल पर व्यक्ति स्वयं के और विधाता के वास्तविक स्वरूप से रूबरू होता है और हमें सही मायनें में जीवन जीने की कला सिखाता है।
अगर हम कहें कि आध्यात्य और कला एक दूसरे की पूरक है तो यह अतिशियोक्ति नहीं होगी इसका तो इतिहास भी गवाह है कि पूर्व में जो व्यक्ति जीतना बड़ा कलाकार होता था वो उतना ही आध्यात्मिक भी होता था लेकिन आज समय के चलते कला के प्रदर्शन में कुछ कुरीतियां आ गयी है।
ऐसे में ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान का मानना है कि यदि कला एवं कलाकार को आध्यात्म से जोड़ दिया जाअें तो उसके व्यक्तित्व में अभूतपूर्व परिवर्तन होगा और उसकी कला में भी निखार आयेगा
इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान का मुख्यालय शांतिवन, ज्ञानसरोवर और पांडव भवन जहां की हवाओं में ही सिर्फ आध्यात्मिकता की महक नहीं हैं बल्कि यहां रहने वाले ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारीओं के चेहरे, आंखें, बोल और कर्मो में आध्यत्मिकता बहती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.