Haryana

बच्चें जब छोटे होते हैं तो अपने माता पिता को अपनी दिल की बात सहजता से बता देते हैं लेकिन जैसे जैसे वे बड़े होने लगते हैं छुपाना चालू कर देते हैं और यही से उनके रास्ते भटकने के चांसेस बढ़ जाते है। ऐसी स्थितियों में माता पिता का परेशान होना लाजिमी है। परन्तु कभी यह जानने की कोशिश नहीं करते कि आखिर कोई अपने दिल की बात क्यों बताए ऐसे ही कुछ अनसुलझे सवालों के सुलझाने के उददेश्य से गुरूग्राम के ओआरसी में दिल की बात’ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया इसमें ओआरसी के आसपास के बड़ी संख्या में बच्चें तथा उनके अभिभावकों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में संस्था के अतिरिक्त महासचिव बीके ब्रजमोहन ने कहा कि हम सभी चाहते हैं कि हमारा बच्चा संस्कारी हो तो पहले मां बाप को अपने अंदर वही संस्कार डालने होंगे जैसा वो बच्चे में देखना चाहते हैं साथ ही ओआरसी की निदेशिका बीके आशा ने बच्चों को समझाया कि अपने मन की बात मां बाप को बता दें नहीं तो वो गांठ बन जायेगी और पैरेंटस से आग्रह किया की बच्चों से लगातार बात करते रहें जिससे उनके मन में कोई बात दबी न रह जाएं।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर यूनियन मिनिस्टरी ऑफ़ एच.आर.डी के ज्वाइंट सेकेट्री वी. सशांक शेखर और राजस्थान के भिवाडी से आए डॉ रूप सिंह शामिल हुए और लोगो को अपने अनुभवों से लाभान्वित किया।
एंकर- बच्चों और मां बाप के बीच आई दूरी को खत्म करने के लिए एक्सपीरीयंश शेयरिंग सत्र भी आयोजित किया गया था जिसमें कुछ बच्चें ऐसे थे जो राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास करते हैं और उससे उनके जीवन में बदलाव भी आए जिसे उन्होंने दिल खोलकर बयां किए