Delhi

कवि प्रदीप जी के गीत की पक्तियां , श्री राम चंद्र कह गये सिया से कि ऐसा कलयुग आयेगा…….आगे जो निशानियां बतायी गयी हैं…….वो सारी निशानियां आज स्पष्ट रूप से दिखायी देती है…….जो इस बात की ओर ईशारा देती हैं कि भगवान के आने का…… गीता ज्ञान देने और उससे सत्य धर्म की स्थापना का यही उचित समय है…….यही संदेश देने लिए प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान ने वर्ष २०१८ को ईयर ऑफ एनलाइटनमेंट माना है……जिसके उपलक्ष्य में दिल्ली के तारकटोरा स्टेडियम में गीता के भगवान द्वारा प्रदत्त सत्य ज्ञान विषय पर विशाल सम्मेलन का आयोजन किया गया |
इस भव्य सम्मेलन का शुभारंभ भारत के संस्कृति, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा, सर्वोच्चय न्यायलय के न्यायधीश एल. नागेश्वर राव, आंध्रप्रदेश उच्च न्यायलय के भूतपूर्व मुख्य न्यायधीश वी. ईश्वरैय्या, संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन, दिल्ली के महापौर आदेश गुप्ता, ओआरसी की निदेशिका बीके आशा समेत संस्थान के कई वरिष्ठ पदाधिकारीयों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ |
हम गीता को सर्वशास्त्र शिरोमणी मानते है और सदियों से पढ़ते आ रहे हैं परन्तु मनुष्य का चारीत्रिक पतन लगातार होता जा रहा है……यानी गीता के सत्य ज्ञान से हम कोसो दूर हैं,लोगों का मानना है कि गीता युद्ध शास्त्र है | लेकिन बुद्धिजीवियों का कहना है कि गीता योग शास्त्र है……जिसके प्रत्येक अध्याय में योग सिखाया है……जिसके द्वारा कर्म में कुशलता, मन और बुद्धि में एकाग्रता, स्थिरता, दृढ़ता और संतुलन आ जाता है……आत्मा की ज्योति जगती है जिससे मनुष्य चिंता मुक्त और मोह मुक्त हो जाता है|
लेकिन सवाल ये हैं कि गीता के भगवान गीता ज्ञान देने आते कब हैं,अगर ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की माने तो उनका कहना है कि यही वो धर्मग्लानी का समय है जब भगवान धरा पर अवतरित होते है और मनुष्य को देवतुल्य बनाने के लिए राजयोग की शिक्षा देते हैं जिससे दुनिया से पाप और भ्रष्टाचार का अंत होता है और नये स्वर्णिम युग का आगाज होता है | जहां सिर्फ सुख, शांति और समृद्धि का राज्य होता है।
इस सम्मेलन के प्रति ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी ने लंदन से अपनी शुभकामनाएं दी तो वहीं रिशिकेष से परमार्थ निकेतन के संस्थापक चिदानंद स्वामी ने भी अपना संदेश दिया।
अंत में सभी अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर व ईश्वरीय सौगात भेंट कर सम्मानित किया गया।