ORC, Gurugram, Haryana

गुरुग्राम के ओम् शान्ति रिट्रीट सेन्टर में आयोजित हुए अखिल भारतीय भगवद् गीता सत्य सार महासम्मेलन के दूसरे दिन का विषय था. गीता में वर्णित धर्मग्लानि का समय – कलयुग का अंत इस अवसर पर पीठाधीश्वर स्वामी विवेकानन्द ब्रह्मचारी, हरिद्वार से सिद्ध पीठ श्री मंगला काली मंदिर, शिव योगी धाम के संस्थापक स्वामी शिव योगी जी महाराज, हैदराबाद से आए स्वामी गोपालाकृष्णानंदा, संस्था के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन, ओआरसी की निदेशिका बीके आशा, जबलपुर से आई भगवद् गीता शोध विदुषी डॉ. पुष्पा पांडे, हुबली से आए गीता शोध विद्वान बीके बसवराज समेत अन्य कई महासंतो एवं विचारक विशेष रुप से उपस्थित हुए।
गीता का महत्व तभी है जब हम उसे जीवन में आत्मसात करें, गीता वास्तव में श्रेष्ठ जीवन पद्धति का ग्रन्थ है, गीता हमें अहिंसा और सत्य का बोध कराती है। गीता में वर्णित युद्ध वास्तव में आत्मा के असली शत्रु काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार को मारने का प्रतीक है। यहीं कुछ वाक्य इस सम्मेलन में आए महासंतों ने सम्मेलन के दौरान व्यक्त किए।
इस मौके पर जबलपुर से आई भगवद् गीता शोध विदुशी डॉ. पुष्पा पांडे, हुबली से आए गीता शोध विद्वान बीके बसवराज ने भी अपने विचार रखे। जिसके बाद इंडोनेशिया की राजधानी बाली से आए कलाकारों ने सरस्वती पर अपनी प्रस्तुति दी, वहीं ओआरी द्वारा गीता पर ए स्किट तैयार किया गया, जिसको सदस्यों ने प्रस्तुत किया।
अनेक विषयों पर गोष्ठियों और परिचर्चाओं के बाद सम्मेलन का तीसरे दिन सफलतापूर्वक समापन हुआ, जिसमें मुख्य वक्तयों ने पैनल चर्चा में मेहमानों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस प्रकार के सम्मेलनों से समाज में एक सकारात्मक संदेश जाता है और मानव श्रेष्ठ कर्म के प्रति प्रेरित होते हैं।
इस दौरान माउण्ट आबू से आई वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका एवं गीता विशेषज्ञ ने पैनल सत्र में संस्था के महासचिव बीके बृजमोहन समेत मौजूद अन्य महासंतों से कई सवाल किए, वहीं साधवी विजयलक्ष्मी ने कहा कि परमात्मा के निकट आने के लिए प्रेमभाव ज़रुरी है।