Abu Road, Rajasthan
यदि सौर ऊर्जा का भरपूर उपयोग किया जाये तो बिजली की ज़्यादा ज़रुरतों को सौर ऊर्जा से पूरा तो किया जा ही सकता है, साथ ही पर्यावरण प्रदूषण से भी बचा जा सकता है। ऐसी ही एक पहल आबूरोड में स्थित ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान ने कुछ वर्षों पहले की जिससे आज 17 हजार यूनिट बिजली पैदा कर रही 80 एकड़ में फैले शांतिवन को रोशन कर रहा है।
यह देश का पहला रिसर्च प्रोजेक्ट है जिससे सौर उर्जा से स्टीम बनती है और फिर स्टीम से टर्बाइन चलती है। जिससे बिजली पैदा हो रही है। इसमें पानी बहुत ही कम मात्रा में लगता है। यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है जिसमें इलेक्ट्कि को हीट सिस्टम से स्टोरेज किया जाता है। जब भी जरुरत हो फिर उसे स्टीम बनती है और टबाईन से बिजली का उत्पादन होता है। यह रिसर्च प्रोजेक्ट होने के कारण इसे भारत सरकार, जर्मनी तथा वर्ल्ड रिन्यूवल, स्प्रीचुअल ट्स्ट के सहयोग से बना है। जिसमें पिछले 3 वर्षो से बिजली का उत्पादन हो रहा है।
करीब 60 एकड़ में बने इस प्रोजेक्ट में सूर्य की रोशनी को एकत्र करने के लिए 770 कांच की डिस लगी है। जो रिफलेक्टर का कार्य करती है। यह सूर्य की किरणे रिफलेक्ट होकर एक स्थान पर एकत्र होती है और वहॉं हीटिंग रिसीवर सिस्टम लगा है जिसमें पानी गुजरता है और वह स्टीम में बदल जाता है। फिर यह स्टीम टबाईन चलाता है और बिजली पैदा होती है। इससे प्रतिदिन जरूरत के हिसाब से प्रतिदिन 8 से 12 हजार यूनिट तक बिजली पैदा होती है।
सबसे खास बात तो यह है कि प्रोजेक्ट को स्थानीय लोगों की सहयोग से बनाया गया है। इस प्लांट में काम करने वाले अधिकतर लोग स्थानीय है। जिससे उन्हें रोजगार तो मिले ही साथ ही वे तकनीकी तौर पर भी सक्षम हो जायें। और एक नया कारोबार प्रारम्भ कर सकें।
वहीं दूसरी तरफ सामान्य सोलार प्लेट से भी बिजली पैदा की जा रही है। इसमें पैदा होने वाली बिजली सीधे पावर ग्रिड में जाती है और फिर ग्रिड से बिजली ब्रह्माकुमारीज संस्थान को देती है। संस्थान में जितनी बिजली खपत होती है उसमें सोलर से पैदा होने वाली बिजली को माईनस कर दिया जाता है। इस सोलार प्लेट से 5 हजार यूनिट बिजली पैदा होती है। कुल मिलाकर 17 हजार यूनिट का उत्पादन होता है।
कुल बीस से बाईस लाख की बचत इन दोनो प्रोजेक्ट से तकरीबर 17 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन होता है। इससे सोलार लाईट, गर्म करने का पानी, रोड लाईटें भी जलती है। इससे 20 से 22 लाख रूपये की बचत होती है।
सौर उर्जा का उपयोग केवल राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश में आजमाया जा सकता है। जहॉं सूर्य की रोशनी की भरपूर उपलब्धता है। जिससे पर्यावरण संरक्षण तो होगा ही साथ ही सौर उर्जा की जरुरतों को भी पूरा किया जा सकता है।