इस सृष्ट्रि के दो भाग हैं एक है सकारात्मक भाग और दूसरा है नकारात्मक भाग जब यह सृष्टि चक्र अपने सकारात्मक चक्र में रहती है तब सभी आत्माओं की सतोप्रधान अवस्था रहती है जिसे आध्यात्मिक भाषा में स्वर्ग कहते हैं और इसके विपरीत जब यह सृष्ट्रि चक्र नकारात्मक भाग में रहती है तब सब आत्माओं की तमोप्रधान अवस्था रहती है जिसे नर्क कहा जाता है।
ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मुख्यालय माउंट के ज्ञान सरोवर से आये बीके हरिहर मुखर्जी ने उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में आयोजित खुशनुमा जीवन का आधार, सहज राजयोग विषय के अंतर्गत दी।
यह कार्यक्रम कुशीनगर के कुबेस्थान में आयोजित किया गया था जिसमें बीके हरीहर ने यह स्पष्ट किया कि सृष्ट्रि चक्र पांच हजार वर्ष का होता है और यह पृथ्वी पांच हजार वर्ष में सूर्य का एक पूरा चक्र करती है, इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जैसा हम सोचते हैं उसका कई गुना रिटर्न होकर हमारे ही पास आता है इसलिये हमें सभी के प्रति शुभकामना रखनी चाहिये, मौके पर कुशीनगर सेवाकेंद्र प्रभारी बीके मीरा एवं स्थानीय सेवाकेंद्र की बीके बहनों समेत अनेक लोग मौजूद थे।