हमारा जीवन एक संगीत की तरह है, इसमें हम जैसी थाप देंगे, वैसी ही धुन बजेगी ऐसा ही सिंद्धात कुछ कुदरत का भी है जैसा हम किसी को देंगे वैसा ही हमें भी प्राप्त होगा लेकिन कुदरत के इस सिंद्धात को आज हम प्रैक्टिल लाइफ में उल्टे तरह से यूज़ करते हैं हमारा ध्यान देने के बजाय हमें इससे क्या मिलेगा उसके बारें में विचार पहले चलने लगते हैं इसलिए आजकल कई बार हम किसी की मदद करने से भी पीछे हट जाते हैं जिससे मदद करने से मिलने वाली दुआओं भी हम प्राप्त नहीं कर पाते
लोगो को किसी की मदद करने व दुआअे कमाने की प्रेरणा देने के लिए गुरूग्राम के ओम् शांति रिट्रीट सेंटर में टीचर्स, प्रोफेसर और ऐडमिन हैड्स के लिए स्नेह मिलन का आयोजन किया गया था जिसका लाभ लेने के लिए आए लोगो को कई और जानकारों ने भी जीवन उपयोगी बातें बताई।