जब एक मनुष्य स्वयं के भीतर किसी श्रेष्ठता को जन्म देता है तो वह कलाकार बन जाता है जब उसी कला में आध्यात्मिकता का उद्भव होता है तो कला में दिव्य निखार आ जाता है ऐसी कला सांस्कृतिक, सुसभ्य एवं सुव्यवस्थित समाज का आधार बनती है ब्रह्माकुमारिज के कला एवं संस्कृति प्रभाग द्वारा चल रही विशेष त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय ई-कांफ्रेंस के तीसरे एवं चौथे सत्र में देश विदेश से कई प्रख्यात हस्तियों ने अपने विचार रखे।
किसी भी दौर का समाज उस दौर के मनुष्यों के विचार, व्यवहार और विश्वास के आधार पर निर्मित होता है जिसकी नीव आध्यात्मिकता से मजबूत बनती है इस कांफ्रेंस में आगे संस्थान के महासचिव बीके निर्वैर, मुख्यालय से वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके गीता और बीके सविता ने कला को निखारने के लिए परमात्म शक्ति से जुड़ना आवश्यक बताया।
इस कांफ्रेंस में नामचीन कलाकारों में जम्मु से प्लेबैक सिंगर सिद्धार्थ सलाठिया, असम से बसुरिवादक सौमेन पौल चौधरी, दिल्ली से सूफी गायिका रश्मि अग्रवाल, मुंबई से प्लेबैक सिंगर तर्रन्नुम मालिक, दिल्ली से संतूर वादक दिव्यांश श्रीवास्तव, दुबई से बासरी वादक पीडी गायकवाड़ समेत अन्य कई हस्तियों ने अपनी कला का प्रदर्शन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।