केयोस के समय मन को शांति की आवश्यकता होती ही है, और जब हम स्वयं को आत्मा समझ कर परमात्मा को याद करें तो उनके प्रेम से हमें शांति और शक्ति दोनों मिलती है ये कहना था यूरोप और मिडिलइस्ट की निदेशिका बीके जयंती का जो ब्रह्माकुमारीज़ के स्पार्क प्रभाग द्वारा आयोजित 3 दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन के शाम के सत्र को संबोधित कर रहीं थीं जिसका विषय था कोपिंग विथ केयोस।
इसके साथ ही पद्मविभूषण डॉ. रघुनाथ मशेलकर, डॉ. ए मुखोपाध्याय, डॉ स्टीवन लॉरेस समेत अन्य विद्वानों ने अपने सुंदर विचार रखे। वहीं सम्मेलन के अगले सत्र में माउण्ट आबू से वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षक बीके सूरज, नालंदा यूनिवर्सिटी के चांसलर विजय भाटकर समेत अन्य अतिथियों ने ट्रस्ट एण्ड टीमवर्क मंत्रास फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट विषय पर प्रकाश डाला।