कर्म सिधांत के अनुसार मनुष्य जो भी कार्य करता है उसे उसका फल अवश्य मिलता है व्यक्ति के कर्म ही उसकी सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक स्थितियों को निर्धारित करते है आचे बुरे कर्मों का फल भुगतने के लिए फिरसे जन्म लेना पड़ता है इसलिए कर्म सिधान्त प्रत्यक्ष रूप से पुनर्जन्म से जुदा है इन्ही मुद्दों पर चर्चा करने हेतु लेस्टर स्थित ब्रह्माकुमारिज के हारमनी हाउस रिट्रीट सेण्टर द्वारा कर्म-एफोर्ट ऑर डेस्टिनी इस विषय के तहत ऑनलाइन टॉक का आयोजन किया गया जिसमें वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके इंदु और बीके सुकांति ने बातचीत की साथ ही ऑनलाइन प्रतिभागियों के प्रश्नों का समाधान भी किया।