विज्ञान के युग में जहां किसान अधिक पैदावार के लिए रासायनिक खादों का इस्तेमाल कर रहे है। वहीं महाराष्ट्र के इचलकरंजी में किसान बाला साहेब शाश्वत यौगिक और जैविक खेती कर कम लागत में मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। यह केवल इचलकरंजी के नहीं बल्कि पूरे महाराष्ट्र और देश के किसानों के लिए नज़ीर बन रहा है। वैसे तो वैज्ञानिक युग में आधुनिक तरीके से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने या अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनेक तरीके अपनाते है जिससे लक्ष्य तो हासिल हो जाता है लेकिन रसायनों के उपयोग से उसके घातक परिणाम भी आने लगे है। परन्तु महाराष्ट् के कोल्हापुर के समीप इचलकरंजी में किसानों के लिए एक किसान से नयी किरण की उम्मीद जगायी है। बिना रसायनिक खादों का उपयोग किये अब उसे ज्यादा पैदावार जैविक और यौगिक खेती कर प्राप्त कर रहे है। यह सुनने में अजीब जरुर लगता है। लेकिन यह पूर्णतया सत्य है। करीब पौने एक एकड़ में चार माह में चुकन्दर और सोयाबीन की खेती चालीस हजार रुपये तक कमा लेते है। जहॉं यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी होता है और पर्यावरण की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान से जुड़े कृषक बाला साहेब बताते है कि हमने पूरी तरह से परम्परागत शाश्वत जैविक और यौगिक खेती की विधि अपनाया है। अब तो दूसरें फसलों की अपेक्षा हमारे पैदा हुए अनाज की मांग बढ़ गयी है और महंगा भी मिलता है। यदि प्रत्येक किसान चाहे तो वह इस प्रकार की खेती करके मोटा मुनाफा कमा सकता है। इसके लिए पपीता से लेकर, मक्का, दलहनी फसलों के साथ कई प्रकार के फसलों को उगाकर मोटा फायदा कमा सकते है। यहॉं जैविक खादां का उपयोग तो होता ही है परन्तु यौगिक खेती से इसमें और ताकत आ जाती है।