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गीता सुनना और सुनाना तो बहुत आसान है लेकिन उसे जीवन में उतारना बहुत ज़रूरी है और जब ज्ञान हमारे आचरण में समा जाता है तो फिर हमें दूसरों को कहने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती इसलिए गीता हमारे आचरण से प्रत्यक्ष होना चाहिए। ये उक्त विचार महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 डॉ स्वामी शिवस्वरूपानंद सरस्वती ने गुरूग्राम के ओआरसी में चल रहे गीता महासम्मेलन के समापन सत्र में जाहिर किए। साथ ही अन्य महानसंतों ने भी राजयोग द्वारा परमात्मा से जुड़ने का आहवान किया।
इस मौके पर संस्था के अतिरिक्त महासचिव बी.के. ब्रजमोहन समेत अनेक सदस्यों ने गीता के महावाक्यों पर प्रकाश डाला।
अंत में सभी ने वर्तमान समय परमात्मा शिव द्वारा सुनाए जा रहे गीता के महावाक्यों को अपने आचरण में लाने का संकल्प लिया। इस मौके पर दिल्ली एवं एनसीआर से काफी संख्या में गीता प्रेमियों ने हिस्सा लिया।

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