आध्यात्म एक विद्या है, चिंतन है, हमारी संस्कृति की परंपरागत विरासत है, आत्मा, परमात्मा, जन्म-मृत्यु, सृष्टि का सृजन और परिवर्तन की अबूझ पहेलियों को सुलझाने का ज्ञान आध्यात्म है लेकिन वर्तमान समय लोग धर्म और आध्यात्म में मूंझ गए हैं, आध्यात्म के लिए उनकी परिभाषा ही बदल गई है आज बुलेटिन की शुरूआत धर्म और आध्याम से करते हुए सीधे चलते हैं धार्मिक प्रदेश यूपी में जहां कानपुर के कल्याणपुर में अखिल भारतीय धर्माचार्य संत एवं विद्वतजन सम्मान समारोह एवं आध्यात्मिक परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए विशेष रूप से धार्मिक प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बीके रामनाथ को आमंत्रित किया गया था जिनके अलावा इन्डिया बुक आफॅ रिकार्ड से सम्मनित तन्त्रिकाचार्य पं0 आचार्य शशि मोहन बहल, केन्द्रीय उर्जा मन्त्रालय भारत सरकार में एन.एच.पी.सी. के निदेशक भगवत प्रसाद मकवाना, अवधूत बाबा निरजंननाथ जी. बजाज गु्रप ऑफ इन्स्टीटीयूशन की अध्यक्षा सुषमा बजाज, कानपुर की क्षेत्रीय संचालिका बीके विद्या, लखनउ के गोमतीनगर सेवाकेंद्र प्रभारी बीके राधा समेत अनेक अतिथि भी मुख्य रूप से मौजूद रहे।
इस मौके पर विद्वानों ने इस बात पर सहमति जताई कि समाज का सच्चे अर्थों में विकास और कल्याण आध्यात्म के समावेश से ही होगा।
नेगीज बैंक्वेट हॉल में ब्रह्माकुमारीज और शून्य फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम में भारत व नेपाल से आए 140 ज्योतिषाचार्यों को शॉल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर कल्याणपुर सेवाकेंद्र प्रभारी बीके उमा, वरिष्ठ राजयोगी बीके प्रकाश भी मुख्य तौर पर उपस्थित रहे।