किसानों द्वारा ज्यादा रसायनिक खादों और कीटनाशक के इस्तेमाल के चलते मिट्टी में आई जैविक गुणों की कमी संयुक्त राष्ट्र संघ के लिए चिंता का विषय बन गया था इसलिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2015 से प्रतिवर्ष 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के रूप में मनाने के की घोषणा की इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किसानो और आम लोगों को मिट्टी की उर्वरता बनाये रखने तथा उसकी महत्ता के बारे में जागरूक करना है।
ब्रह्माकुमारीज संस्थान भी किसानों को जागरूक करना अपना कर्तव्य समझती है इसी के चलते संस्थान के ग्राम विकास प्रभाग के तहत कई प्रदेशो में संस्थान द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसकी तस्वीरें आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर दिख रही हैं।
सबसे पहले छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और धमतरी की दूसरी झारखण्ड के जमशेदपुर और गुमला की तीसरी मध्यप्रदेश के जबलपुर, रतलाम और सेंधवा की चौथी ओड़िशा के कटक की पांचवी राजस्थान के जालोर की और छठीं तस्वीरें यूपी के टूण्डला की हैं। इस कार्यक्रम के दौरान कृषकों से ज्यादा से ज्यादा जैविक और शाश्वत यौगिक खेती करने की सलाह दी तथा मृदा की उर्वरता बनाये रखने के लिए प्रेरित किया।
बिलासपुर सेवाकेंद्र द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सांसद अरूण साव आनलाइन जुड़े और अपने संदेश में कहा कि रासायनिक खाद का उपयोग न करें तकि धरती मां बंजर होने से बच सके वहीं सेवाकेंद्र प्रभारी बीके मंजू ने इस मौके पर शाश्वत योगिक खेती करने का सुझाव दिया।
ऐसे ही धमतरी सेवाकेंद्र पर आयोजित कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के विषयवस्तु विशेषज्ञ प्रेमलाल साहूजी, ग्रामिण कृषि विस्तार अधिकारी मनोज साहूजी, नवीन तरार, सेवाकेंद्र प्रभारी बीके सरीता की मौजूदगी में सम्पन्न हुआ और जैविक और शाश्वत खेती विस्तार से चर्चा हुई।
झारखण्ड के डाल्टनगंज, जसपुर, लोहरदग्गा, लातेहार में भी कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था जिसमें बाल कल्याण समिति के पूर्व उपाध्यक्ष राजकुमार वर्मा, किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष कपिंद्र महतो, के.के.एम स्कूल की प्राचार्या मधु कुमारी, ने ग्राम वासियों को भूमि संरक्षण के लिए अनेक उपाय बताए।
अब बात मध्यप्रदेश के जबलपुर, रतलाम और सेंधवा की जहां जबलपुर के कंटगा कॉलोनी सेवाकेंद्र पर कृषि ट्रेनिंग सेंटर के प्राचार्य डी.डी. विश्वकर्मा, सिचांई विभाग के कार्यकारी अभियंता आर.एन बानी, गिर गाय गौशाला के संचालक श्रेयस जयसवाल, सेवाकेंद्र प्रभारी बीके विमला ने कहा हमने भूमि का दोहन तो बहुत किया लेकिन अब समय हैं उसे बचाने का इसलिए हम सभी को खेती के नए विकल्प जैसे जैविक और शाश्वत खेती को अपनाना चाहिए।
राजस्थान के जालौर में आनलाईन कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें कृषि कार्यालय के डेप्यूटी डायरेक्टर डॉ. आरबी सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र के प्लांट प्रोटेक्टर डॉ. प्रकाश यादव, जालौर सेवाकेंद्र प्रभारी बीके रंजू, ग्राम विकास प्रभाग के मुख्यालय संयोजक बीके सुमंत, बीके अस्मिता ने ‘शाश्वत यौगिक खेती द्वारा मिट्टी का संरक्षण’ विषय पर विस्तार से चर्चा की।
ऐसे ही ओड़िशा के कटक और यूपी के टूण्डला में भी आयोजन हुए किसानों से जैविक खाद और जैविक पदार्थो का उपयोग करने, खेत के मेडों पर वृक्षों को उगाने और खेती पर राजयोग मेडिटेशन का प्रयोग करने की प्रतिज्ञा करायी गयी।