आज के भागदौड़ भरी जिन्दगी में पारिवार में एक दूसरे लिए समयाभाव के कारण आपसी रिश्ते दरकने लगे हैं। माता पिता का अपने बच्चों के लिए समय नहीं है। जिसके वजह से बच्चे गलत संग में पड़ने लगे है।वहीं अभिभावकों की भी शिकायत रहती है कि बच्चे कहना ही नहीं मानते। बच्चों और अभिभावकों के बीच कैसे तालमेल विठाया जाये इसे लेकर ब्रह्माकुमारीज संस्थान के ओआरसी में बच्चों एवं अभिभावकों का संयुक्त आयोजन किया गया।
बच्चों एवं उनके माता-पिता के लिए मन की बात अपनों के साथ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें 8 से 17 वर्ष के बच्चों ने भाग लियाइस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय जनजाती मंत्री जोल ओरम ने इस समस्या को गम्भीर मानतें हुए कहा कि आज बच्चें आठ घंटे स्कूल में बिताते हैं लेकिन 16 घंटे तो घर पर बितातें हैं, अगर माता-पिता जो समय टीवी व मोबाइल को देते अगर उतना समय वो बच्चों को दे तो हम उन्हें अच्छे संस्कार दे सकतें हैं।
आज मन की बात करने का किसी के पास समय नहीं है, और संबंध सिर्फ नाम मान शान के रह गये हैं।यदि हम अपने संबंधो में मधुरता, ईमानदारी, समरसता लाना चाहते है तो हमें एक दूसरों की भावनाओं को समक्षना पढ़ेगालेकिन उसके लिए हमें अपना किमती वक्त उनके साथ गुजारना पढ़ेगा।
कार्यक्रम के दौरान संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके ब्रजमोहन ने बताया कि मनुष्य जो भी कर्म करता है उसका फल वो स्वयं ही प्राप्त करता है, साथ ही ओआरसी की निदेशिका बीके आशा ने कहा कि सदैव सीखने की भावना हमें सदा युवा बनाकर रखती है।
टॉक शो का आयोजन किया, जिसमें बच्चों ने अपने दिल की बात कही, जिसे अभिभावकों ने ध्यानपूर्वक सुना व अपने विचार भी व्यक्त किए।