हमें कभी यह नहीं समझना चाहिए कि ईश्वर ने किसी के साथ अन्याय किया है। भले किसी के अन्दर शारीरिक रुप से किसी अंग की कमी हो या मानसिक रुप से कमज़ोर हो। लेकिन उसके अन्दर भी कुछ न कुछ विशेष योग्यता अवश्य होती है। अतः हमें शारीरिक व मानसिक कमी को न देख.. अंतर्निहित क्षमता को पहचान कर उसे अपनी ताकत बनाकर आगे बढ़ना है। ये उक्त विचार तवलीन फाउण्डेशन के संस्थापक डॉ. गुरमीत सिंह नारंग के है।
1992 से संयुक्त राष्ट द्वारा घोषित अन्तर्राष्ट्रीय विकलांगता व्यक्ति दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है। इस वर्ष.. 2018 में संयुक्त राष्ट्र ने विकलांग व्यक्तियों के लिए दिव्यांग समानता, संरक्षण एवं सशक्तिकरण थीम को सुनिश्चित किया था जिसके अंतर्गत ब्रह्माकुमारीज़ दिव्यांग सेवा द्वारा कई स्थानों में अभियान चलाया जा रहा है।
इस अभियान के ज़रिए अन्तर्राष्ट्रीय विकलांगता व्यक्ति दिवस पर इंदौर के न्यू पलासिया स्थित ज्ञान शिखर के ओम् प्रकाश भाईजी सभागृह में ब्रह्माकुमारीज़ दिव्यांग सेवा द्वारा कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें डॉ. गुरमीत समेत आनंद सर्विस सोसाइटी मुक बधिर संगठन के संस्थापक ज्ञानेन्द्र पुरोहित, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके अनिता, कार्यक्रम की संचालिका डॉ. शिल्पा देसाई ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर ज्ञानेन्द्र पुरोहित ने कहा कि मुख की भाषा से ज़्यादा ताकत कर्म में होती है और यह दिव्यांग बच्चे कहने के बजाए करके दिखाते हैं। इस दौरान उन्होंने संस्थान में आकर हुए अनुभवों को भी साझा किया। वहीं कार्यक्रम में विशेष रुप से आए नई दुनिया अखबार.. भोपाल के एडिटर प्रमोद द्विवेदी ने कहा ईश्वर ने सभी को बराबर दिया है विकलांग वह नहीं है जिनके हाथ पैर व आंख नहीं हैं बल्कि विकलांग वह है जो सम्पूर्ण स्वस्थ होते हुए भी उनके कदम श्रेष्ठ कर्म की ओ अग्रसर नहीं होते हैं।
कार्यक्रम के दौरान बीके अनिता ने बच्चों को अपनी शुभकामनाएं दी, जिसके बाद आनंद सर्विस सोसाइटी मुक बधिर संगठन के बच्चों द्वारा मोनोएक्टिंग प्रस्तुत कर मोबाईल का अधिक उपयोग न करने, शराब पीकर वाहन न चलाने आदि का संदेश दिया।