गीता ज्ञान के विभिन्न आध्यात्मिक पहलुओं पर प्रकाश डालने के लिए ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान द्वारा भोपाल के समन्वय भवन सभागार में दो दिवसीय श्रीमत भागवद् गीता महासम्मेलन का आयोजन हुआ जिसका शुभारंभ संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से डॉ. एस.एम मिश्रा, भोपाल ज़ोन की निर्देशिका बीके अवधेश, जबलपुर से आयी गीता विशेषज्ञ बीके डॉ. पुष्पा पाण्डेय, हैदराबाद से बीके त्रिनाथ, गुलमोहर सेवाकेंद्र प्रभारी बीके रीना की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
दो दिवसीय इस सम्मेलन में मुख्य रूप से गीता क्या है गीता ज्ञान दाता कौन है गीता ज्ञान का सही समय कौन सा है जैसे बिन्दुओं पर प्रकाश डालने के लिए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बीके अवधेश ने बताया कि गीता ज्ञान दाता निराकार परमात्मा शिव है और गीता ज्ञान को सम्पूर्ण रीति से अपने जीवन में धारण करने वाले 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरषोत्तम श्री कृष्ण है। इसी बात को गहराई से न समझने के कारण भारत की यह दुर्दशा हुई है।
अपने वक्तव्य को आगे बढ़ाते हुए कहा कि गीता शास्त्र को हम यथार्थ रूप से तभी समझ पाएंगे जब गीता ज्ञान दाता के सत्य स्वरूप को समझेगें।
इसी चर्चा को आगे बढाते हुए बीके बृजमोहन ने सभी का ध्यान इस बात पर खिंचवाया कि गीता में जिन पांच विकारों को मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन बताया हैं उसका प्रक्टिकल प्रमाण आज हम सभी सम्मुख है। आज समाज में जितने भी अपराध हो रहें हैं उन सभी का मूल यह पांच विकार है इसलिए यही गीता काल चल रहा है।
वहीं गीता विशेषज्ञ बीके डॉ. पुष्पा पाण्डेय ने महाभारत युद्ध को प्रतीकात्मक बताते हुए; इस बात पर प्रकाश डाला कि युद्ध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पांच विकारों से मुक्त होने के लिए अहिंसक युद्ध करने को प्रेरित किया इसलिए हम सभी को भी इन पांच विकारों से मुक्त होने के लिए पांडव बन ईश्वरीय ज्ञान का अर्जन करते हुए स्वयं को विकारमुक्त बनाना चाहिए।
अंत में डॉ. एस.एम मिश्रा समेत अनेक जानकारों ने भी अपने विचारों द्वारा गीता के अन्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
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