1853 में स्वामी विवेकानंद के शिकागो विश्व धर्म संसद में दिए गए ऐतिहासिक भाषण की 125वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित किए गए विश्व हिंदु सम्मेलन में दुनिया भर से भारतीय सनातन धर्म पर चर्चा के लिए हज़ारों की संख्या में बुद्धिजीवियों ने भाग लिया भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तथा ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान से जीवन प्रबंधन विशेषज्ञ तथा वरिष्ठ राजयोगिनी बीके उषा शामिल हुए थे।
कई दिन तक चले सम्मेलन में हिंदु ऑर्गनाईजेशन, टेम्पल और एसोसिएशन फोरम की अध्यक्षता करते हुए बीके उषा ने कहा कि आध्यात्म और मेडिटेशन प्रत्येक भारतीय की धरोहर है, जिससे वह प्रेम, सहानुभूति और मूल्यों के लिए कार्य करता है। सनातन धर्म का मतलब लोगों में बढ़ी दूरियों, जाति भेद और रंग रुप की दिवारों को तोड़कर एकता के सूत्र में पिरोना है। ब्रह्माकुमारीज़ विश्व विद्यालय पूरे विश्व में इन्हीं मूल्यों की पुर्नस्थापना के लिए कार्य कर रहा है।
विश्व धर्म संसद में दुनिया भर से पहुंचे धमप्र्रेमियों ने वसुधैव कुटुम्बकम को बढ़ावा देने तथा मानवीय एकता पर चर्चा करते रहे। हर रीति से हर कोई इस बात पर बल दिया कि समाज से समाप्त हो रहे मानवीय मूल्यों को कैसे रोका जाये। ब्रह्माकुमारीज संस्थान ने अपना पक्ष रखते हुए लोगों को दैहिक बन्धनों और भेदभाव से उपर उठकर लोगों के साथ व्यवहार करने की सलाह दी। साथ ही सम्पूर्ण स्वास्थ्य के विकास के लिए शाश्वत यौगिक खेती पर भी विस्तार से बात रखी गयी। सभी धर्मों के लोगें ने माना कि यदि मनुष्य को अपने मानसिक स्तर पर शुद्ध और सात्विक बनाना है तो उसमें शाश्वत यौगिक खेती को महत्व देना होगा।
सम्मेलन के दौरान शाश्वत यौगिक खेती तथा राजयोग मेडिटेशन को पूरी दुनिया में फैलाने के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत कई देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।