वैसे तो सड़क यातायात एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने का सहज मार्ग है लेकिन तेजी से बढ़ती सड़क दुघर्टनायें चिंता का सबक बन गयी है, आज भले ही यातायात के साधनों ने हमारी दूरियां कम दी हों लेकिन इन साधनों में कहीं न कहीं हमारी असुरक्षा भी छिपी है क्योंकि ये यायतायात के साधन कई लोगों को या तो सदा के लिये दुनिया से विदाई देने का कारण बन जाते हैं या तो हमारे किसी अंग को सदा के लिये हमसे जुदा कर देते हैं. यदि वास्तव में हमें इन दुर्घटनाओं का शिकार होने से बचना है तो वाहनों की अनियंत्रित गति, नशीले पदार्थो का सेवन तथा तनाव इन सभी को विराम लगाना होगा I और इन सभी का आधार आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग है।
गीता शास्त्र के अनुसार आत्मा न कट सकती है, न जल सकती है न ही मर सकती है बस इतना ही है जैसे हम शरीर के वस्त्र को चेंज करते हैं उसी अनुसार आत्मा भी शरीर रूपी वस्त्र धारण करती है उक्त विचार ट्रेवल एंड ट्रांसपोर्ट विंग की राष्ट्रीय संयोजिका बी.के. कुंती के हैं जो उन्होंने मुम्बई के वेस्ट वोरीवली में वैश्विक यादगार दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये।
प्रभु उपवन भवन में हुये इस कार्यक्रम में क्षेत्रिय संयोजिका बी.के. सविता ने कहा कि आज के दिन सारे विश्व के सौ से भी अधिक देशों में अनेक लोग जीवन का क्या मूल्य है उसको पहचान देने के लिये अलग – अलग तरीके अपना रहे हैं,इस मौके पर नार्थ मुम्बई की सबजोन प्रभारी बी.के. दिव्यप्रभा ने भी अपनी शुभकामनायें व्यक्त कीं और सभी ने रोड एक्सीडेंट में मारे गये लोगों को श्रृंद्धाजलि दी तथा उनके लिये सामूहिक योगभ्यास द्वारा शांति व शक्ति के प्रकम्पन वातावरण में फैलाये।