नारी जब स्वं को पहचान कर अपने अविनाशी पिता परमपिता परमात्मा शिव को अपना आधार बना लेती है तब वह अबला से सबला बन दुर्गा, सरस्वती, अंबा, संतोषी, गायंत्री मां जैसी पूज्यनीय बन जाती है, सारे भारतवासी उनकी वंदे मातरतम् के रूप में उनकी पूजा व वंदना करते है जिसका ही यादगार आज तक हम नवरात्री के रूप में मनाते आ रहे है, जिसका एक नजारा नागपुर में देखने को मिला जहां ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के नागपुर सेवाकेंद्र द्वारा भव्य चैतन्य झांकी का आयोजन किया गया था।
जिसका शुभारंभ मातृ सेवा संघ की अध्यक्षा कंचन गडकरी, आमदार विकास कुंभारे, महल नागरिक सेवा मंडल के अध्यक्ष बंडुजी राउत, उपाध्यक्ष रोशन जयसवाल, नगर सेविका नेहा वाघमारे, सुमेधा देशपांडे, डॉ. स्मिता कोल्हे, नागपुर सेवाकेंद्र प्रभारी बीके रजनी समेत अनेक गणमान्य लोगो ने किया।
सदियों से नारी अबला समझी जाती थी, पुरूष प्रधान संस्कृति में नारी को बहुत ही निम्न स्थान दिया जाता था, संन्यासी उसे नर्क का द्वार समझत थे लेकिन जब परपिता परमात्मा शिव धरापर अवतरित हुए तो उन्होने नारियों को स्वर्ग का द्वार बना दिया नारी के सिर पर ज्ञान का कलष रखा, उसे राजयोग सिखाकर पवित्रता का कवच पहना दिया उसे कमल समान पवित्र जीवन बनाने की कला सिखायी और ज्ञान के अस्त्र शस्त्र से श्रंगारित कर विकारों रूपी राक्षस का वध करने की क्षमता उसने भर दी और वही नारी दुर्गा, अंबा, सरस्वती, गायत्री बन समाज उद्धारक बन गयी उन्हीं देवियों के जड़ चित्रों के आगे आज भक्त शक्ति प्राप्त करने की गुहार लगाते हैं।