जरा सोचिए कि हमारे चेहरे पर कोई दाग लग जाता है तो हम उसे जल्द से जल्द साफ करने के लिए दौड़ पड़ते हैं और तब तक बैचेन रहते हैं जबतक चेहरा पहले जैसा न हो जाए ऐसे में उन लोगों की बैचेनी का अंदाजा लगाया जा सकता है, जो एसिड अटैक का शिकार बनतें हैं, जी हां हम बात कर रहे हैं एसिड अटैक से जूझ रहें लोगों की जिनके लिए गुरूग्राम के ओम् शांति रिट्रीट सेंटर में दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
यह हमला व्यक्ति के शरीर के साथ-साथ आत्मा को भी जला देता है, इस हमलें में जख्म से रिसने वाले मवाद तो एक समय के बाद बंद हो जाते हैं मगर इसका दर्द पूरी जिंदगी रिसता रहता है।
इस हमले में हो सकता है कि शिकार होने वाले की जान चली जाए और अगर वो बच गया तो समाज उसे दोयम दर्जे का नागरिक बना देता है, जिंदगी बेहद बोझिल व दर्दनाक हो जाती है और वो तिल-तिल कर जीने को मजबूर हो जाता है, ऐसे में उन्हें एक अैसे सहारे की जरूरत होती हैं जो उनके अंदर मर चुकी जीने की चाह को पुनः जागृत कर दे और उन्हें इससे उभरने के लिए हिम्मत प्रदान कर सके जिससे वे अपने ही जैसी पीड़िता के लिए हिम्मत का सबब बन सके।
आप को बता दें यह कार्यक्रम नीफा द्वारा आयोजित किया गया था जिसमें कई एसिड अटैक सरवाईवर शामिल हुई जिन्हें राजयोग मेडीटेशन की जानकारी दी गयी और इसका अभ्यास भी कराया गया दो दिवसीय इस कार्यक्रम के दौरान सरवाइवर्स ने हुए अनुभवों को हमारे साथ साझा किये।