सरकार की नीतियों को अमल में लाने वाले प्रशासनिक अधिकारीयों के लिए आबूरोड के मनमोहिनी वन में संस्थान के प्रशासन प्रभाग द्वारा राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें पूरे भारत से प्रशासन प्रक्रिया से जुड़े कई अधिकारी शामिल हुए तीन दिवसीय इस सम्मेलन में प्रशासन को सुशासन बनाने के लिए कई सत्रों का आयोजन हुआ।
सम्मेलन का शुभारंभ संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी, भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव वी. शशांक शेखर, मध्यप्रदेश सरकार के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम के अध्यक्ष प्रदीप पाटिल, ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन, कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय, प्रभाग की अध्यक्षा बीके आशा, राष्ट्रीय संयोजिका बीके अवधेश, मुख्यालय संयोजक बीके हरीश ने दीप जलाकर किया।
वी शशांक शेखर ने सम्मेलन के दौरान अपने भाषण में कहाकि हम अगर भारत के इतिहास का दर्शन करें तो पायेंगे कि भारत जब आध्यात्मिकता से सम्पन्न था तभी वो साधनों से भी सम्पन्न था लेकिन आज ज्यादातर लोगो का मानना है, कि आध्यात्मिकता का रास्ता अलग है और भौतिक रूप से सम्पन्न होने का रास्ता अलग है
आगे उन्होंने कहा कि धर्म और आध्यात्म की रक्षा हम नहीं कर सकते लेकिन अगर हम उसे अपने जीवन में आत्मसात करे तो धर्म और आध्यात्म हमारी रक्षा जरूर कर सकता है, यहीं संदेश पिछले 82 वर्षो से देने का कार्य ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान कर रही है और हमें भी इनकी शिक्षाओं को जीवन में धारण कर इनके संदेश को विश्व में फैलाने में इनके मददगार बनना चाहिए कार्यक्रम में मौजूद प्रदीप पाटिल ने भी उनकी बात को समर्थन दिया।
दादी जानकी ने सभा में उपस्थित सभी लोगो से अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि धन और स्कूली शिक्षा कम होने के बावजूद भी आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग मेडिटेशन के बल से पूरे विश्व में इश्वरीय सेवा कर पायीं हूं…..
दादी के पश्चात् संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने लोगों को उदाहरण देकर समझाने का प्रयास किया कि जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान की क्यों आवश्यकता है और इस शुभारंभ सत्र के समापन पर बीके मृत्युंजय ने सभी से योगी जीवन द्वारा भारत को स्वर्ग बनाने के कार्य में सहयोगी बनने का आह्वान किया।