भारत सरकार ने बड़ी पहल करते हुए परम्परागत कृषि को बढ़ावा देने के लिए ब्रह्माकुमारीज संस्था के ग्राम विकास प्रभाग द्वारा पिछले 25 वर्षों से की जा रही शाश्वत यौगिक खेती का समर्थन करते हुए इसे बढ़ावा देने का संकल्प लिया है। इसके साथ ही गौमाता कृषि के साथ कई और परमम्परागत कृषि को प्रोत्साहित करने का भी प्रस्ताव दिया है, यही नहीं इसे धरातल पर लाने के लिए किसानों को तीन साल में प्रति एकड़ 48 हजार का अनुदान भी देने का प्रावधान किया है ताकि किसान परमम्परागत कृषि की तरफ लौटे जिससे पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोका जा सके।
केंद्र सरकार ने परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत यौगिक, गौ माता, ऋषि खेती समेत परम्परागत तरीके से खेती करने वाले किसानो को प्रोत्साहन देने के लिए ठोस कदम उठाए हैं इस योजना के तहत वर्ष 2018-2019 के लिए 360 करोड़ रूपय का प्रावधान किया है, जिसमें सरकार किसानों को प्रति हेक्टेयर 48700 रूपय तीन साल के वक्त में देगी रकम सीधे किसानों के खाते में भेजी जायेगी पहले साल 17000 रूपय, दूसरे साल 15,600 रूपय और तीसरे साल 16100 रूपय
गौरतलब है ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान बेहतर खेती के लिए पिछले 11 वर्षो से शाश्वत यौगिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत उनकी यह मेहनत अब रंग लाते नजर आ रही है, क्योंकि हाल ही में दिल्ली के पूसा में लगे राष्ट्रीय कृषि मेले में ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के ग्राम विकास प्रभाग द्वारा यौगिक खेती का स्टाल लगाया गया था जिसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अवलोकन किया था जहां प्रभाग के संयोजक बीके महेंद्र ने उन्हें शाश्वत यौगिक खेती की जानकारी देते हुए इससे उत्पन्न अनाज भी दिखाया गया इससे पहले दिसम्बर 2017 में ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मुख्यालय माउंट आबू का कृषि केंद्रिय मंत्री राधामोहन सिंह अवलोकन किया था
आइए आपको बताते हैं शाश्वत यौगिक खेती है क्या और इसकी करने की विधि क्या है यह विधि और सभी से आसान है इसमें सबसे पहले राजयोग मेडिटेशन द्वारा पहले बीजो को शक्तिशाली बनाया जाता है फिर उन्हीं बीजो को खेत में बोते हैं….इसके बाद गोबर का जीवामृत और जैविक खाद का डालते हैं फिर किटाणुओं से बचाने के लिए नीम और गौमूत्र का छिडकाव करते हैं इसके बाद सबसे महत्वपूर्ण बात सुबह और शाम आधा-आधा घण्टा राजयोग के अभ्यास द्वारा पवित्र और शक्तिशाली वायब्रेशन खेत में फैलायें जाते हैं