आज व्यक्ति खुशी के लिए मोहताज़ है, डिप्रेशन का इंडेक्स बढ़ता जा रहा है, सेहत दिन प्रतिदिन बिगडती जा रही है, रिश्तो में कड़वाहट घुलती जा रही है इन सब का मूल कारण तनाव, ईर्ष्या, निंदा जैसी मानसिक बिमारीयों को आज समाज ने नैचुरल कहकर स्वीकार कर लिया है और जब हम किसी चीज़ को स्वीकार कर लेते हैं तो उससे उभरने व छुटकारा पाने का हम प्रयास नहीं करते ऐसा कहना था सुप्रसिद्ध जीवन प्रबंधन विशेषज्ञ बीके शिवानी का
यह उक्त विचार बीके शिवानी ने गुरूग्राम के ओम् शांति रिट्रीट में कोरपोरेट प्रोफेशनल्स के लिए पासवर्ड ऑफ़ हैप्पीनेस विषय पर आयोजित कार्यशाला में व्यक्त किए अपने व्यक्तव्य को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि अगर व्यक्ति भावनाओं के स्तर कि चेकिंग करें तो पाएगा कि यह तनाव नैचुरल नहीं है।
कार्यशाला के दौरान ओआरसी की निदेशिका बीके आशा ने खुशी पाने के लिए दातापन के गुण को जीवन में धारण करने पर ज़ोर दिया तो राजस्थान के भिवाडी से आए डॉ. रूप सिंह ने किसी भी सकारात्मक बदलाव की शुरूआत स्वयं से करने की बात कही।