गीता में वर्णित युद्ध सांकेतिक एवं अहिंसक था। असल युद्ध मानव के भीतर चल रहा है विकार एवं कमज़ोरियों के विरुद्ध। निराकार ज्ञान दाता परमात्मा शिव है और परमात्मा ने ही ज्ञान गंगा बहायी। भगवद् गीता में वर्णित भारत के पुरातन राजयोग तथा विकारों रुपी शत्रुओं के ऊपर अंतर्युद्ध के बारे में गहराई से चर्चा करने के लिए भगवद गीता के नए अभिप्राय विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय भगवद गीता महासम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मेलन में सभी धर्मानुयाईयों ने माना कि परमात्मा सर्वव्यापी नहीं है। बुलेटिन की शुरुआत आज इसी खबर से है। इस राष्ट्रीय महासम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर हरिद्वार, कुरुक्षेत्र, पंजाब, उत्तरप्रदेश, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, हैदराबाद, कर्नाटक, जबलपुर, ओड़िशा आदि राज्यों से गणमान्य गीता विशेषज्ञ, संत, महात्माएं सम्मिलित हुए, जहां संस्था के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन समेत अन्य वरिष्ठ सदस्यों की भी मुख्य उपस्थित रही। इस महासम्मेलन का शुभारम्भ गुरुग्राम के ओम् शान्ति रिट्रीट सेन्टर में हुआ।
दूसरे दिन महासम्मेलन का समापन नई दिल्ली के सीरी फोर्ट सभागार में किया गया, जहां बीक बृजमोहन समेत कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुरेन्द्र मोहन मिश्रा, कर्नाटक के हुबली सेवाकेन्द्र के निदेशक एवं गीता विशेषज्ञ राजऋषि बीके बसवराज, श्रीनगर के गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रो. योगेन्द्र नाथ शर्मा, नेपाल के अमृतानुभव संघ ट्रस्ट के ब्रह्म ऋषि गौरीशंकराचार्य महाराज, ओम् शान्ति रिट्रीट सेन्टर की निदेशिका बीके आशा तथा मुख्यालय माउण्ट आबू से आई गीता विशेषज्ञ बीके उषा ने भी आयोजित विषय को लेकर अपने विचार रखे। गीता में वर्णित युद्ध मानस युद्ध था. गीता की व्याख्या चार बिंदुओं से की जाती है, पौराणिक, ऐतिहासिक, तार्किक एवं आध्यात्मिक। इस सम्मेलन में दो खुले सत्रों समेत 4 प्लेनरी सेशन भी आयोजित हुए, जिसमें गीता से जुड़ी कई तमाम बातों पर प्रकाश डाला गया।