दिल्ली तथा एनसीआर में सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों के प्रशासक और प्रबंधको के लिए ब्रह्माकुमारीज संस्थान के प्रशासक प्रभाग द्वारा आयोजित दस दिवसीय ‘स्व शासन से सुशासन’ अभियान का सफलतापूर्वक समापन हो गया इस अभियान के अंर्तगत सरकारी आफिसेस, कम्पनीज़ एण्ड इंडस्ट्रीज, यूनीवर्सिटीज, हॉस्पिटल्स, होटल्स और बैंकस में 200 से अधिक कार्यशालाओं का अयोजन किया।
दस दिनों तक चले इस अभियान में द्वारका कोर्ट, गोवा क्लब एंड रिसाँर्ट, हौन्डा कार्स, ईग्नू, मेरठ कमिश्नर आफिस, मेटलाईफ, एनएसआईटी, पुलिस स्टेशन, स्टेट बैंक टेªनिंग एकेडमी, एसआरएम यूनीवर्सिटी, बापू नेचर क्योर और जीवन अनमोल हास्पीटल, स्टेट बैंक आफ इंडिया टेªनिंग सेंटर समेत अनेक स्थानों पर कार्यशालाओं का अयोजन किया गया है।
स्वशासन अर्थात अपने मन, बुद्धि और कर्मेन्द्रियों पर अटेंन्शन देकर उन पर नियंत्रण रखना और जब हम अटेन्शन रखकर स्वयं पर शासन करना सीख लेते हैं तो बाहर की चीजों पर शासन करना आसान हो जाता है, लेकिन विचार करने वाली बात ये है कि अपने उपर अटेन्शन कैसे रखें? प्रशासकों की इन्हीं कुछ परेशानियों को दूर करने के लिए कई कार्यशालाओं का आयोजन किया गया जिसमें ब्रह्माकुमारीज़ की सीनियर फैकल्टी मैंबर्स ने बताया कि यह अटेन्शन की कला आती हैं केवल आत्मअवलोकन से जब आप साइलेंस में बैठकर आत्मअवलोकन करेंगे तो आपका ध्यान उन बातों पर जायेगा जिन्हें आप नजरअंदाज कर रहे थे इसलिए जितना हो सके साइलेंस का अभ्यास करें जिससे इन्ट्यूशन जागृत होती है जोकि हमें सही समय पर सही निर्णय लेने में मदद करती है।
कार्यशालाओं के दौरान प्रतिभागीयों ने प्रशासन में सुशासन लाने के लिए स्वशासन और नैतिकता के महत्व को समझा उन्होंने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मूल्यों को लागू करने के लिए मेडिटेशन और अध्यात्मिकता को एक सरल माध्यम माना साथ ही राजयोग मेडिटेशन के अभ्यास द्वारा स्वयं को शक्तिशाली महसूस किया।