भारत एक ऐसा देश जिसमें लगभग आधी आबादी 20 से 59 वर्ष की आयु वर्ग के लोग हैं, जिसमें भी 41 प्रतिशत लोग 20 वर्ष की आयु से कम हैं, जबकि 9 प्रतिशत लोग 60 वर्ष की आयु से उपर हैं, इन आकड़ों के मुताबिक भारत में एक बहुत बड़ी युवा शक्ति है शायद इसी युवा शक्ति को देखकर भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी भारत को डिजिटल इंडिया बनाने की ओर अग्रसर हैं, वहीं प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविघालय भारत को डिवाइन इंडिया बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। जिसकी एक झलक माउंट आबू स्थित अकेडमी फॉर बैटर वर्ल्ड में देखने को मिली।
मौका था शिक्षकों के लिए मूल्यनिष्ठ शिक्षा और अध्यात्म विषय पर सम्मेलन का जिसमें दिल्ली से अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के निदेशक डॉ. एम.एस. मन्ना, जवाहारलाल नेहरू युनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. एम. जगदीश, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश, अहमदाबाद से डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर खुला विश्वविद्यालय के कुलपति पंकज एल. जानी, कर्नाटक के उच्च शिक्षा परिषद के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर एस.ए कोरी ने संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी, शिक्षा प्रभाग के अध्यक्ष बीके निर्वेर, उपाध्यक्ष बीके मृत्युंजय, दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम के निदेशक डॉ. बीके पंडियामडी के उपस्थिति में शुभारंभ किया।
मूल्य आधारित शिक्षा ही किसी भी देश की नींव होती है,क्योंकि जिस देश का नागरिक शिक्षा से परिपूर्ण होता है तो उसका चहुमुखी विकास होता है, भारत में तक्षशिला और नालन्दा विश्वविद्यालय इस मामले में प्रसिद्ध रहें हैं। वर्तमान शिक्षा में भी आध्यात्मिक मूल्य और राजयोग मेडिटेशन समय की मांग है, क्योंकि इसके जरिये ही युवाओं को सशक्त बनाया जा सकता है। जो आने वाले भारत की तकदीर हैं इसी उदेश्य को लेकर आयोजित सम्मेलन में ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान और डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर खुला विश्वविद्यालय के बीच संस्थान के शिक्षा प्रभाग द्वारा बनाये गये मूल्य आधारित पाठयक्रम चलाने के बीच सहमति बनी।
वर्तमान समय की शिक्षा में नैतिक मूल्य और मूल्य आधारित शिक्षा के समावेश से निश्चित तौर पर संस्कार और संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा जिससे एक बेहतर समाज का निर्माण होगा।
सम्मेलन में आये विशेषज्ञों का कहना था कि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया तो देश के युवाओं का समग्र व्यक्तित्व विकास नहीं हो पायेगा और इसके गम्भीर परिणाम भुगतने होंगें, क्योंकि अच्छे संस्कार और संस्कृति ही देश की व समाज की रक्षा करने में सहायक होंगे।
सम्मेलन में राजयोगिनी दादी जानकी ने सभी बुद्धिजिवियों को संबोधित करते हुए कहाकि जीवन में कभी भी अपनी विशेषताओं का अभिमान नहीं आना चाहिए, साथ ही बीके निर्वेर ने विद्यार्थीयों में श्रेष्ठ चरित्र का समावेश करने के लिए शिक्षकों को पहले अपने जीवन में वैल्यूज को धारण करने पर जोर दिया।