Consent for Meditative farming along with organic farming, Agriculture minister of Madhya Pradesh stated that meditative farming along with organic will raise the income of farmers, closure of 3 days conference
पहली खबर माउंट आबू से है जहां पर ज्ञान सरोवर एकेडमी में गांव के सर्वांगीण विकास का आधार सद्भावना विषय पर अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में भाग लेने आये मध्य प्रदेश के कृषिमंत्री गौरीशंकर सिंह विसेन ने कहा कि जैविक और यौगिक खेती से किसानों की आय में सुधार आयेगा। ब्रह्माकुमारीज का प्रयास निश्चित तौर पर मील का पत्थर साबित होगा।
समय और परिस्थिति को काटते हुए एक सच्चे कर्मयोगी की निशानी होती है जो हर परिस्थति को पार करके हर जगह पहुंचता है इसलिए तमाम रूकावटों के बावजूद भी कृषिमंत्री गौरीशंकर सिंह बिसेन ने सम्मेलन के समापन सत्र में शिरकत कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और संस्थान के प्रति अपने स्नेह को जाहिर किया।….इसके साथ ही पहले सत्र में गुजरात से आए इंडोजर्मन वाटरशेड मैनेजमेंट के अध्यक्ष राजेश दवे ने कहा कि गांववासियों को नैतिकता जैसे जीवनोपयोगी मूल्यों से संपन्न करने का जो संस्था द्वारा भागीरथ कार्य किया जा रहा है वह खुली किताब की तरह है।
संस्था के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय, प्रभाग की अध्यक्षा बीके सरला, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके गीता समेत कई वरिष्ठ सदस्यों ने सद्भावना विषय पर गहन चर्चा की।
इससे पूर्व ब्रह्माकुमारीज संस्था के ज्ञान सरेवर में आयोजित तीन दिवसीय कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग सम्मेलन का उद्घाटन महाराष्ट्र कॉन्सिल ऑफ एग्रीकल्चर एजुकेशन के उपाध्यक्ष डॉ. राम खर्चे, उत्तर प्रदेश के पूर्व खाद्य मंत्री प्रदीप यादव, दिल्ली में आई ए आर ई के संयुक्त निदेशक जयप्रकाश शर्मा, प्रभाग की अध्यक्षा बीके सरला, उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार, मुख्यालय संयोजक बीके राजू समेत प्रभाग से जुड़े कई वरिष्ठ सदस्यों ने दीप जलाकर किया।
महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर एजुकेशन उपाध्यक्ष डॉ. राम खर्चें ने कहा कि प्रकृति मनुष्य को अथाह संपदा देती है और अब प्रकृति को देने की शुभ भावना रखनी होगी। साथ ही ज्ञान सरोवर की निदेशिका बीके डॉ निर्मला समेत अन्य उपस्थित मुख्य अतिथियों ने अपने विचारों से सभी को लाभान्वित कियां
एक ओर जहां वक्ताओं ने अपने विचारों के माध्यम से किसानों को उत्तम खेती करने के लिए एक नई दिशा दिखाई तो वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए उनका मनोरंजन करने के साथ ही गांव का विकास करने व प्रकृति की सुरक्षा करने का संदेश दिया…..जिससे सभी के मनोबल व उत्साह में वृद्धि देखने को मिली।