कहते है देवियों का वास वहीं होता है जहां नारी का सम्मान होता है लेकिन आज वर्तमान समय में मानव ये भूल गया है नारी का अपमान कर देवियों के आगे हाथ जोड़ता है सुख-शांति की प्राप्ति की अर्जी लगाता है अपना सिर झुकाकर अपने पापों का प्रायश्चित करता है, ज्ञान के अभाव होने के कारण वो दिन प्रतिदिन और ही गलत कर्म करने लगता है आज तक जिन लोगों ने नारी को अपनी पैरों की धूल समझा वहीं परमात्मा निराकार शिव नारी को अपने नैनों का नूर बनाकर मनुष्यात्माओं के कल्याण के लिए चुनता है और सभी के आसुरी संस्कारों का विनाश कर देवीय गुणों को धारण करने की प्रेरणा देता है
नवरात्रि उत्सव देवी अंबा का प्रतिनिधित्व है दुर्गा के विनाशकारी पहलु सब बुरी प्रवृतियों पर विजय प्राप्त करने के प्रतिबद्धता के प्रतीक है किंतु मनुष्य उनके पीछे के आध्यात्मिक रहस्यों का ना जानने के कारण उनकी पूजा भी स्वार्थवश करता है और इसी आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिए परमात्मा ने उन चौतन्य देवियों को आगे किया जो एक एक मनुष्यात्मा का ज्ञान नेत्र खोलकर उन्हें सही मार्ग प्रशस्त कर सकें और यही मार्ग दिखाने के लिए ब्रह्माकुमारीज ने नवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्यों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया।