वैसे तो शासन और प्रशासन चलाने के लिए कई कायदे और कानून बने है। परन्तु सही व्यवस्था और प्रशासन के लिए यदि स्व पर शासन करने की बात हो तो निश्चित तौर पर इसपर विचार करने की जरुरत है, कुछ इन्हीं मुद्दों को लेकर बह्माकुमारीज़ संस्था के मुख्यालय शांतिवन में प्रशासकों लिए राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का उदघाटन महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर हरिभाऊ बागड़े, महासचिव बी.के. निर्वैर, प्रशासक प्रभाग की अध्यक्षा बी.के. आशा, राष्ट्रीय संयोजिका बी.के. अवधेश, मुख्यालय संयोजक बी.के. हरीश ने दीप जलाकर किया।
तीन दिन तक चले इस सम्मेलन में भाग लेने आए प्रशासकी अधिकारी व कर्मचारी की उपस्थिति में शासन में सुधार लाने के लिए विभिन्न बिंदुओं पर गहराई से मंथन किया गया I जिसमें अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त किए।
गहराई से मंथन के बाद सम्मेलन में निष्कर्ष निकला कि जब तक व्यक्ति स्वयं को सच्चाई, ईमानदारी, सहयोग करने जैसे गुणों से सम्पन्न नहीं होगा I तब तक आप कितने भी का नियम बना लिए जायें, फिर भी शासन में सुधार नहीं आ सकता I जीवन मे यह नैतिक व दैविय गुण आएगें स्वयं की वास्तविक पहचान से और आध्यात्मिक ज्ञान व राजयोग मेडिटेशन व्यक्ति को उसके वास्तविक स्वरूप से रूबरू कराने का माध्यम है, इसके नियमित अभ्यास से व्यक्ति स्वयं पर और अपने अधिनस्थ लोगो पर सुशासन कर सकता है।