यदि हम स्माइलिंग, चीयरफूल, केयरफूल, हेल्दी, हैप्पी, स्टेबल रहने वाला बच्चा चाहते हैं तो मां को गर्भकाल से ही अपने बोल, कर्म, खान-पान, विचार, व्यवहार, देखना, सुनना इस पर विशेष ध्यान देना होगा क्योंकि ओरिज़नल कॉपी जैसा होगा वैसी ही जिरॉक्स कॉपी होगी, जैसा बीज वैसा पौधा होगा, क्योंकि बच्चे का भाग्य लिखने की कलम मां के हाथों में है.. यह उक्त विचार मुंबई से डिवाइन संस्कार रिसर्च फाउण्डेशन की को-आर्डिनेटर बीके डॉ. शुभदा नील के हैं जो उन्होंने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में टिकरापारा सेवाकेंद्र पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही।
इस अवसर पर स्वास्थ अधिकारी गायत्री बांधी, स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. रश्मि बुधिया ने भी कार्यक्रम के दौरान अच्छी लगने वाली बातों को सभी के साथ साझा किया।
अंत में सेवाकेंद्र प्रभारी बीके मंजू ने सभी को अपने विचारों को खूबसूरत बनाने के लिए सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन कोर्स प्रारंभ होने की सूचना दी।