यूरोप और अमेरिका वासियों की तुलना में तीन से चार गुना अधिक भारतीय आज हृद्यरोग से ग्रसित है, अगर यही हाल रहा तो 2020 तक दुनिया के कुल हृद्यरोगियों में साठ प्रतिशत भारतीय होगें इस घातक बिमारी का बाईपास सर्जरी केवल एक टाईमपास ईलाज हैं, असल में हृद्यरोग की जड़ मन में छिपी हैं, ऐसा कहना था त्रिआयामी हृद्योपचार कार्यक्रम के प्रणेता और माउंट आबू ग्लोबल हॉस्पीटल के हृद्यरोग विशेषज्ञ बीके डॉ. सतीश गुप्ता का जो उन्होंने छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित त्रि–आयामी स्वास्थ समारोह के दौरान व्यक्त की।
साथ ही उन्होंने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वास्थ का जिम्मेवार है, डाक्टर सिर्फ हमारी मदद कर सकता है देर तक जागना, सुबह देर से उठना और बेसमय भोजन करने से आर्ट्ररिज में ब्लाकेज शुरू हो जाता है और हार्ट अटैक का कारण बनता है परन्तु इससे ज्यादा हार्टअटैक का खतरा नकारात्मक जीवनशैली द्वारा उत्पन्न हुए तनाव से है लेकिन व्यक्ति अगर सकारात्मक और अध्यात्मिक जीवनशैली को अपनाये तो इस घातक बिमारी से उभरकर सुखी जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
वहीं रायपुर की क्षेत्रिय निदेशिका बीके कमला ने जीवन में आने वाली प्रत्येक परिस्थिती में स्वयं को अचल अडोल बनाने पर ज़ोर दिया।
समारोह में स्वास्थ सेवाओं के आयुक्त आर. प्रसन्ना, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डायरेक्टर डॉ. नितिन एम. नागरकर समेत शहर के सैकडों गणमान्य लोग उपस्थित थे।